राजीव मणि
आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया पर रील्स का क्रेज तेजी से बढ़ा है। इंस्टाग्राम, यूट्यूब और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म पर लोग अपनी प्रतिभा दिखाने और प्रसिद्धि पाने के लिए वीडियो बनाते हैं। लोकप्रियता की इस दौड़ में अश्लील और अनैतिक सामग्री का प्रसार ज्यादा हो रहा है, जो समाज और विशेष रूप से युवा पीढ़ी के लिए गंभीर चिंता का विषय है। रील्स में अश्लीलता का बढ़ता चलन मुख्य रूप से ध्यान आकर्षित करने और अधिक व्यूज एवं लाइक्स पाने की होड़ के कारण है। कई लोग भड़काऊ कपड़ों, आपत्तिजनक डांस और दोहरे अर्थ वाले संवादों का उपयोग करते हैं, ताकि वे तेजी से वायरल हो सकें। इस प्रकार की सामग्री किशोरों और युवाओं के मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डालती है।
महिलाओं की गरिमा और समाज में उनकी छवि पर भी अश्लील रील्स का बुरा प्रभाव पड़ा है। कई कंटेंट क्रिएटर्स महिला शरीर का वस्तुकरण कर उन्हें केवल आकर्षण का केंद्र बनाने का प्रयास करते हैं। यह न केवल महिलाओं के प्रति असम्मान को बढ़ावा देता है, बल्कि लैंगिक असमानता को भी गहरा करता है। परिवार और समाज पर भी रील्स में बढ़ती अश्लीलता का नकारात्मक प्रभाव देखा जा रहा है। यह समस्या परिवारों में विवाद और नैतिक पतन का कारण बन सकती है। इसके अलावा, युवा अपनी असली दुनिया से कटकर एक आभासी दुनिया में जीने लगते हैं, जहां वे खुद को सोशल मीडिया पर मिलने वाले फीडबैक के आधार पर आंकने लगते हैं।
इस बढ़ती समस्या को रोकने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को सख्त मॉडरेशन नीतियां अपनानी चाहिए और अनैतिक सामग्री को प्रतिबंधित करना चाहिए। साथ ही, अभिभावकों और शिक्षकों को बच्चों को सही मार्गदर्शन देने की जरूरत है। आखिरकार समाज में नैतिक मूल्यों की रक्षा करना हम सभी की जिम्मेदारी है।
0 टिप्पणियाँ