‘नये पल्लव’ भारत में तेजी से बढ़ते प्रकाशन गृहों में से एक है। इसकी स्थापना सितंबर, 2016 में बिहार की राजधानी पटना में हुई थी। यह हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, उर्दू, भोजपुरी, मगही, मैथिली, नेपाली, बंगाली, तमिल, तेलुगु, असमिया, गुजराती, पंजाबी सहित अन्य सभी भारतीय भाषाओं में हर तरह की पुस्तकें प्रकाशित करता है। स्थापित एवं नवोदित लेखकों की अबतक यह सैकड़ों किताबें प्रकाशित कर चुका है। विदशों में रह रहे कुछ भारतीयों की पुस्तकें भी यहां से प्रकाशित हुई हैं। इसके अलावा कई विश्वविद्यालयों, संस्थाओं व कुछ छोटे प्रकाशकों की किताबें भी ‘नये पल्लव’ प्रकाशित कर चुका है।
‘नये पल्लव’ की शुरूआत एक सामाजिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक संस्था के रूप में 2014 में कुछ लेखकों के साथ मिलकर युवा लेखकों को एक सशक्त मंच प्रदान करने और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के उद्देश्य से की गई थी। साथ ही हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए भी यह कई तरह से हर वर्ग के लोगों के बीच काम करता रहा है। अपने शुरूआती दिनों में ही इससे ना सिर्फ भारत, बल्कि भारत से बाहर रहने वाले एनआरआई भी इससे जुड़कर काम कर रहे थे। बाद में बढ़ती लोकप्रियता और लेखकों के अनुरोध व सहयोग से ही ‘नये पल्लव’ को एक प्रकाशन गृह का रूप 2016 में दे दिया गया।
स्कूली बच्चों में हिन्दी भाषा के प्रति रुचि जगाने के लिए प्रकाशन की तरफ से ‘घरौंदा क्लब’ की स्थापना की गई। इसके तहत वर्ग 6 से 12वीं तक के बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन समय-समय पर किया जाता है। वहीं बच्चों को कविता, कहानी, लघुकथा, पेंटिंग आदि ऑनलाइन सिखाने की व्यवस्था की गई है। बच्चों के लिए यह सबकुछ पूर्णतः निःशुल्क है। इतना ही नहीं, जो बच्चे अच्छा करते हैं, उनकी पुस्तक भी निःशुल्क प्रकाशित की जाती है। एक ऐसा ही उदाहरण कोलकाता की काजल साह की पुस्तक ‘मुसाफिर’ (कविता संग्रह) आप इंटरनेट पर देख सकते हैं। ज्ञात हो कि ‘घरौंदा क्लब’ से जुड़ने वाले ज्यादातर बच्चे काफी गरीब परिवार से आते हैं, कई तो झुग्गी-झोपड़ी से। अबतक यह सारा कुछ प्रकाशन अपने खर्च पर करता रहा है, कहीं से कोई अनुदान या सहायता राशि नहीं मिली।
‘नये पल्लव’ प्रकाशन की सबसे बड़ी विशेषता जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है, वह है समय की पाबंदी, ईमानदारी एवं कम समय में किताब प्रकाशित कर आप तक सुरक्षित पहुंचा देना। साथ ही, प्रकाशन के नाम पर यह किसी लेखक को गुमराह नहीं करता, बल्कि जो सही बात होगी, प्रकाशक की तरफ सेे साफ-साफ बता दी जाएगी। प्रकाशक राजीव मणि बताते हैं, ‘‘जो बात होती है लेखक को साफ-साफ बता दी जाती है। यहां झूठ के लिए कोई स्थान नहीं है, आप किताब छपवाएं या नहीं, लेकिन गुमराह करना हमारा काम नहीं है। इस कारण ही प्रकाशन की दुनिया में हम आजतक काम कर पा रहे हैं।’’
नये पल्लव प्रकाशन अपने बेहतर संपादन, डिजाइनिंग और साफ-सुथरे मुद्रण के लिए जाना जाता है। प्रकाशक खुद सारी चीजों पर विशेष ध्यान देते हैं और हर काम को बेहद अनुशासन के साथ समय पर पूरा करते हैं। उच्च-गुणवत्ता वाली पुस्तक/पत्रिका के प्रकाशन के लिए आप प्रकाशन से संपर्क कर सकते हैं।
पता : नये पल्लव, पटना, बिहार - 800 010 भारत
मोबाइल : 8825306628, 9835265413
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