डॉ. सत्यवान सौरभ
देहरादून के निकट सुरम्य हिमालयी क्षेत्र स्थित थानो गांव ने देश का अपनी तरह के पहले ‘लेखक गांव’ का गौरव हासिल किया है। इस गांव की अवधारणा से लेकर उसका विकास उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने किया है, जो स्वयं साहित्यकार की भी पहचान रखते हैं। उनका दावा है कि इस गांव में लेखकों को अपनी कृतियों के सर्जन के लिए जरूरी एक शांत और रचनाशील वातावरण मिलेगा।
देश के पहले लेखक गांव थानो में स्पर्श हिमालय फाउंडेशन द्वारा हाल ही में आयोजित स्पर्श हिमालय महोत्सव-2024 भारतीय साहित्य, संस्कृति और कला की समृद्ध धरोहर का प्रतीक बन गया। इस ऐतिहासिक आयोजन में उत्तराखण्ड के पहले लेखक गांव का उद्घाटन हुआ, जहां लेखक और विचारक प्रकृति के सान्निध्य में सृजनात्मक चिंतन की स्वतंत्रता प्राप्त कर सकते हैं।
हिमालयी वैशिष्ट्यता लिए ‘लेखक गांव’ का उद्देश्य देश-दुनियां के उन विलक्षण, विद्वान साहित्यकारों, गीतकारों, कलाकारों को ठौर प्रदान करना है, जिनकी लेखनी ने अपने समय की कालजयी रचनाओं का सर्जन कर आमजन के बीच लोकप्रियता हासिल की। लेखक गांव का यह अनूठा आयोजन न केवल साहित्यकारों को प्रेरणा प्रदान करेगा, बल्कि इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। यहां लेखक कुटीर, संजीवनी वाटिका, नक्षत्र और नवग्रह वाटिका, पुस्तकालय और गंगा व हिमालय संग्रहालय जैसी संरचनाओं ने इसे एक संपूर्ण साहित्यिक तीर्थ बना दिया है।
25 से 27 अक्टूबर, 2024 को स्पर्श हिमालय फाउंडेशन के तत्वावधान में देहरादून के थानो में स्थित लेखक गांव में अंतरराष्ट्रीय कला, साहित्य और संस्कृति महोत्सव का आयोजन किया गया। इस पांच दिवसीय महोत्सव में 65 से अधिक देशों के साहित्यकार, लेखक और कलाकारों ने भाग लिया, जो हिन्दी भाषा और उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करने में कामयाब हुए। यह महोत्सव हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार का एक महत्त्वपूर्ण कदम साबित हुआ और इसमें भाग लेनेवाले विदेशी साहित्यकार अपने देशों में हिन्दी के ब्रांड एंबेसडर के रूप में कार्य करेंगे।
देवभूमि उत्तराखण्ड का यह लेखक गांव प्रदेश की अद्भुत रचनात्मकता और सृजनशीलता का प्रतीक है। यहां का शांत और सुरम्य वातावरण लेखकों को सर्जन के लिए एक आदर्श स्थान प्रदान करता है। चिंतन, मनन और स्वयं की खोज में लेखक गांव जैसे स्थानों की महत्ता है। ऐसे एकांत और सृजनात्मक वातावरण में लेखकों को आत्म-साक्षात्कार का सजीव अनुभव प्राप्त होता है। लेखक गांव की मूल परिकल्पना को यथार्थ के धरातल पर उतारते हुए ‘लेखक कुटीर’ इस परिसर का सबसे महत्त्वपूर्ण और संवेदनाओं को सहेजता है। जीवन के तमाम कड़वे-मीठे अनुभवों और झंझावतों को स्वयं में समेटे ऐसे वयोवृद्ध लेखकों के लिए यह परिसर स्वयं में स्नेह और आशीष की छांव में स्थापित एक ऐसा स्थान है, जहां प्रतिक्षण मानवता की सेवा चरितार्थ होगी। विश्व के हिमालयी सरोकारों से जुड़े प्रसिद्ध लेखकों, साहित्य साधकों एवं कालाकारों के नाम से ‘लेखक कुटीर’ नाम की तख्ती सजी होगी। प्रकृति के आंचल में नाना प्रकार के फूलों की सुगंधित ख़ुशबू पूरे परिसर को सकारात्मक ऊर्जायुक्त तरंगों से महका देगी। अध्ययन, लेखन और जीवन को जीवंत बनाने के लिए लेखक कुटीर में निवास कर रहे लेखकों को यथासंभव सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास किया जायेगा। लेखक गांव के ग्रंथालय में समस्त हिमालय राज्यों के साहित्य, संस्कृति, इतिहास, सामाजिक, राजनितिक, भूगोल, दर्शन, धर्म, ज्ञान-विज्ञान आदि विषयों से संबंधित ग्रंथों को स्थान दिया गया है।
प्राचीन ऐतिहासिक मूर्तियों, चित्रों, सिक्कों, पाण्डुलिपियों एवं अन्य दुर्लभ वस्तुओं का संग्रह किया जाएगा। पहाड़ी चित्रकला, विश्व स्तरीय फोटोग्राफरों के चित्र ग्रंथालय की शोभा बढ़ाएंगे। ग्रंथालय का अतिरिक्त परिवेश निर्मित करते हुए इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा कि पवित्रता और शांति का वातावरण बना रहे। ग्रंथालय का निर्माण हिमालयी लोक संस्कृति, वास्तु शिल्प के उद्धरण रूप में निर्मित होगा। पहाड़ी गांव के भवन निर्माण शिल्प के आधार पर हिमालय ग्रंथालय का निर्माण किया जाएगा, जिसमें खोली, छज्जा एवं तिवारी बनाई जाएगीे। ग्रंथालय पहाड़ी पत्थर एवं स्थानीय काष्ठ से निर्मित किया जाएगा। ग्रंथालय का निर्माण हिमालयी लोक संस्कृति, वास्तु शिल्प के उद्धरण रूप में निर्मित होगा।
लेखक गांव में आनेवाले छात्रों, शोधार्थियों, लेखकों एवं विभूतियों सहित सभी आगंतुकों की आवासीय व्यवस्था, भवन का परिवेश केवल छात्रावास या विश्रामगृह तक सीमित न होकर सुख, परम शांति और अद्भुत आनंद से परिपूर्ण घर का पूर्ण आभास प्रदान करेगा। आवासीय परिसर प्रकृति के मध्य आगंतुकों के चित और चिंतन को नव ऊर्जा प्रदान करके आवासीय समय को सकारात्मक, रचनात्मक तथा अविस्मरणीय बनायेगा। लेखक गांव जैसा स्थान भारत के साहित्य और संस्कृति को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की क्षमता रखता है। इनमें होनेवाले महोत्सव साहित्य, कला और संस्कृति के विविध रंगों को संरक्षित और सशक्त बनाते हुए भारत की सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध करने का संकल्प दोहराते हैं। लेखक गांव के स्पर्श हिमालय महोत्सव-2024 ने साहित्यिक और सांस्कृतिक जागरूकता का नया अध्याय लिखा है। यह आयोजन न केवल उत्तराखण्ड की धरती पर रचनात्मकता का संचार लाया है, बल्कि साहित्य, संस्कृति और कला के माध्यम से भारतीय धरोहर को संजोए रखने में सहायक सिद्ध होगा।
लेखिका, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।
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