डॉ. जे.एम. व्यास
जैसे-जैसे दुनिया तेजी से डिजिटल युग में अपना विस्तार कर रही है, नॉन फंजीबल टोकन्स (एनएफटी), कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और मेटावर्स जैसी तकनीक की प्रगति ने कला और संग्रहणीय बाजार, वाणिज्य और संचार सहित समाज के विभिन्न पहलुओं में क्रांति ला दी है। जहां ये नवाचार अपार अवसर और लाभ पहुंचा रहे हैं, वहीं यह अपराध और सुरक्षा के संदर्भ में अत्याधिक चुनौतियां भी पेश कर रहे हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म बड़ी मात्रा में डेटा एकत्र और तैयार कर रहे हैं। इससे गोपनीयता संबंधी गंभीर चिंताएं पैदा हो रही हैं। नॉन फंजीबल टोकन्स (एनएफटी) के आसमान छूते उपयोग के साथ, उपयोगकर्ताओं को ठगने और उनके डिजिटल वॉलेट से धन की चोरी करने के उद्देश्य से द्वेषपूर्ण एनएफटी घोटालों में वृद्धि देखने को मिल रही है। मेटावर्स अभी भी अपनी प्रारंभिक अवस्था में है, लेकिन उपभोक्ताओं को उन सुरक्षा और गोपनीयता उपायों को समझने की आवश्यकता है, जो प्लेटफॉर्म एनेबलर प्रदान करते हैं। साइबर खतरे के परिदृश्य की जटिलता बढ़ गई है और क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहलों के माध्यम से उद्योगों, शिक्षा जगत और सरकार के बीच उच्च स्तरीय सहयोग की आवश्यकता है। एक सुरक्षित और भरोसेमंद साइबर स्पेस को बढ़ावा देने के लिए इन उभरती चुनौतियों का समाधान करने के लिए गृह मंत्रालय ने 13-14 जुलाई को गुरुग्राम (हरियाणा) में एनएफटी, एआई और मेटावर्स के युग में अपराध और सुरक्षा पर जी20 सम्मेलन की मेजबानी की। नॉन फंजीबल टोकन्स ने 2014 के बाद से कला बाजार में क्रांति ला दी है, जिससे डिजिटल संपत्ति के लिए डिजिटल स्वामित्व और उत्पत्ति स्थान सत्यापन सक्षम हो गया है। एनएफटी बाजार 2028 तक लगभग 20 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। हालांकि यह क्रांतिकारी तकनीक आपराधिक गतिविधियों के लिए नए द्वार भी प्रस्तुत करती है। नकली एनएफटी, अनधिकृत नकल और कॉपीराइट का उल्लंघन डिजिटल आर्ट के क्षेत्र में प्रमुख चिंताएं बन चुकी हैं। इसके अलावा, एनएफटी लेनदेन में उपयोग की जाने वाली क्रिप्टो करेंसी से जुड़ी गुमनामी मनी लॉन्ड्रिंग, कर चोरी और अवैध वित्तपोषण की सुविधा प्रदान कर सकती है। इसके अलावा, एनएफटी प्लेटफॉर्म में मौजूद प्रतिभूतियों के मुद्दे और अतिसंवदेनशीलता एक परिष्कृत साइबर हमले का कारण बन सकती हैं, जिससे भारी वित्तीय और साथ ही प्रतिष्ठा की हानि हो सकती है। हितधारकों के हितों की रक्षा करते हुए एनएफटी लेनदेन की प्रामाणिकता और वैधता सुनिश्चित करने के लिए मजबूत नियामक ढांचे स्थापित करने, कानून प्रवर्तन एजेंसियों को मजबूत करने और जी20 देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय संबंध और सहयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के प्रसार ने विभिन्न उद्योगों में परिवर्तनकारी संभावनाओं को खोल दिया है। साइबर सुरक्षा, कानून प्रवर्तन एजेंसियों और भविष्यसूचक बाजार/मौसम विश्लेषण सहित विभिन्न क्षेत्रों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में उभरी है। हालांकि, साइबर अपराधीजटिल साइबर हमलों को अंजाम देने और एआई-संचालित फर्जी योजनाएं शुरू करने के लिए एआई का उपयोग कर सकते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रभाव सकारात्मक प्रगति के साथ, नकारात्मक परिणामों को भी शामिल करता है। अपराधियों के बीच जटिल साइबर हमलों को अंजाम देने, पहचान की चोरी करने और दुष्प्रचार करने के लिए एआई का उपयोग करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। एआई-पावर्ड मैलवेयर, एपीटी, डीडीओएस, डीप फेक तकनीक आदि एआई आधारित साइबर सुरक्षा हमलों के कुछ ऐसे ही उदाहरण हैं, जो निश्चित रूप से व्यक्ति की गोपनीयता, विश्वास और डिजिटल सामग्री की अखंडता के लिए एक गंभीर खतरे पैदा करते हैं। एआई के इस युग में, जी20 देशों के लिए साइबर सुरक्षा उपायों को तरजीह देना, वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना और उभरते खतरों का अति सक्रिय होकर समाधान करने के लिए अनुसंधान के लिए संसाधन आवंटित करना अनिवार्य है। एआई के विकास और कार्यान्वयन के लिए नैतिक ढांचे की स्थापना जिम्मेदार उपयोग की गारंटी देगा और एआई-सक्षम आपराधिक कार्यों से जुड़े जोखिम कम होंगे। एआई शासन को मजबूत करना, जिम्मेदार एआई विकास को प्रोत्साहित करना और एआई-संचालित खतरे का पता लगाने वाले तंत्र को बढ़ाना एक सुरक्षित डिजिटल इको सिस्टम सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम हैं।
मेटावर्स एक परस्पर जुड़ी वर्चुअल दुनिया का प्रतिनिधित्व करता है। इसमें लोग वास्तविक नहीं बल्कि वर्चुअल रूप से मौजूद रहते हैं। यह वास्तविक और डिजिटल सच्चाइयों के बीच की सीमाओं को धुंधला कर देता है। यह व्यवसायों, सामाजिक संस्कृति और बातचीत और मनोरंजन के लिए बड़ी संभावनाएं प्रदान करता है। लेकिन हर चीज कीमत चुकाने और उससे जुड़े जोखिमों से मुकाबला करने के बाद ही मिलती है। वर्चुअल पहचान की चोरी, फिशिंग घोटाले और वर्चुअल संपत्ति की चोरी इस तल्लीन वातावरण में संभावित खतरे हैं। इसके अलावा, मेटावर्स की विकेंद्रीकृत प्रकृति कानून प्रवर्तन प्रयासों को जटिल बना सकती है, जिससे सरकारों, प्रौद्योगिकी कंपनियों और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों के बीच सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता होगी। मजबूत सुरक्षा मानकों को विकसित करना, उपयोगकर्ता शिक्षा को बढ़ावा देना और प्रभावी नियामक ढांचे को लागू करना साइबर अपराध को रोकने और एक सुरक्षित मेटावर्स अनुभव सुनिश्चित करने में सहायक होगा।
जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी हमारी दुनिया को नया आकार दे रही है, जी20 देशों को उद्योग, शिक्षा, सरकार और विषय वस्तु विशेषज्ञों के सहयोग से अपराध और सुरक्षा के संदर्भ में एनएफटी, एआई और मेटावर्स द्वारा उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करने के लिए सक्रिय रूप से काम करने की आवश्यकता है। अंतरराष्ट्रीय सहयोग, मजबूत नियामक उपायों, तकनीकी नवाचारों और जन जागरूकता अभियानों के माध्यम से, बड़े पैमाने पर व्यक्तियों, व्यवसायों और समाजों के हितों की रक्षा करते हुए एनएफटी, एआई और मेटावर्स की परिवर्तनकारी शक्ति का उपयोग किया जा सकता है। नियामक ढांचे के अनुरूप इन उभरती प्रौद्योगिकियों के साइबर सुरक्षा वर्टिकल पर एक केंद्रित अनुसंधान और विकास दृष्टिकोण साइबर-सुरक्षित इको सिस्टम बनाने और हर स्तर पर इन प्रौद्योगिकियों को अपनाने को बढ़ावा देने में काफी मदद करेगा। असली उद्देश्य समाज को उभरते खतरों से सुरक्षित रखते हुए इन पथ प्रदर्शक प्रौद्योगिकियों की विशाल संभावना का दोहन करना होना चाहिए।
लेखक, स्कूल ऑफ साइबर सिक्योरिटी एण्ड डिजिटल फॉरेंसिक, गांधीनगर (गुजरात) के कुलपति हैं।
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