डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा में आयोजित तीन दिवसीय किसान मेला के उद्यान प्रदर्शनी में बेगूसराय के खेत में पैदा इटालियन प्रजाति का गोभी कौतूहल का विषय बना रहा। पिरामिड की आकृति वाला यह गोभी बेगूसराय जिले के छौड़ाही प्रखंड स्थित एकम्बा पंचायत के किसान सलाहकार अनीश कुमार द्वारा उपजाया गया था।
’प्राकृतिक खेती एवं पोषक अनाज की खेती से किसानों की समृद्धि’ विषय पर 23 से 25 फरवरी तक आयोजित प्रदर्शनी में इस अजूबे गोभी ’रोमनेस्को’ के उत्पादन के लिए प्रथम पुरस्कार दिया गया है। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय पूसा के कुलपति पुण्यव्रत सुविमलेन्दु पाण्डेय ने प्रशस्ति पत्र और पुरस्कार से सम्मानित किया। प्रदर्शनी में उपस्थित किसान इसकी खेती के लिए प्रोत्साहित हुए हैं।
प्रदर्शनी से वापस आए अनीश कुमार ने बताया कि यह पिरामिड जैसा दिखने वाला गोभी रोमनेस्को ब्रोकली है। यह जाड़ा के सब्जी आइटम को पूरा करने के लिए कई वर्षों से लगाते आ रहे हैं। किसान मेला में प्रदर्शन का मुख्य कारण किसानों को जागरूक करना है, जिससे किसान स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से नए-नए पोष्टिक साग-सब्जियों को अपने खेतों में लगाएं। इससे स्वास्थ्य के बेहतरी के साथ आमदनी भी अच्छी हो सके।
रोमनेस्को कॉलीफ्लावर की बाजार में खूब डिमांड रहती है। अमेरिका सहित कई अन्य यूरोपीय देशों में यह काफी प्रचलन में है। स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से यह लाभाकारी है। इस महंगे गोभी के फूल का नाम रोमनेस्को कॉलीफ्लावर है। इसे कुछ लोग रोमनेस्को ब्रोकोली के नाम से भी जानते हैं, जबकि इसका वानस्पतिक नाम ब्रैसिका ओलेरासिया है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, यह गोभी का फूल दूसरे गोभी की तुलना में थोड़ा-सा विचित्र होता है। रोमनेस्को कॉलीफ्लावर के फूल पूरी तरह विकसित नहीं हो पाते और हरे पिरामिड जैसी एक खास आकृति धारण कर लेते हैं। आमतौर पर बाकी गोभी गोल ही होते हैं। इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन-सी, विटामिन-के, डायटरी फाइबर्स और कैरोटिनॉयड्स होते हैं। इसका सबसे पहला उपयोग 16वीं सदी में इटली के कुछ प्राचीन दस्तावेजों से मिलता है। यह आमतौर पर हरे रंग का होता है। इस गोभी का स्वाद मूंगफली जैसा होता है। पकने के बाद यह और भी स्वादिष्ट लगता है। इसका उपयोग सब्जियों और सलाद में किया जाता है।
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