अमेरिका में ’गर्भपात पर प्रतिबंध’ से बाइडन और ओबामा नाखुश

Pregnancy

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के गर्भपात के लिए संवैधानिक संरक्षण को समाप्त करने की तीखी आलोचना की है। ओबामा ने ट्वीट किया है कि यह फैसला लाखों नागरिकों की स्वतंत्रता पर हमला है। राष्ट्रपति जो बाइडन भी इस फैसले से नाखुश हैं। उल्लेखनीय है कि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की नौ सदस्यीय पीठ ने 5-4 के बहुमत से रो बनाम वेड के फैसले को पलट दिया। इस फैसले में गर्भपात को संवैधानिक अधिकार दिया गया था।

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद से अमेरिका के करीब आधे राज्यों में गर्भपात पर प्रतिबंध लगने की संभावना है। सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात को कानूनी तौर पर मंजूरी देने वाले 50 साल पुराने फैसले को पलट दिया है। उल्लेखनीय है कि इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों के संयुक्त बयान में कहा गया है कि यह फैसला अमेरिकी महिलाओं को दुखी करने वाला होगा। साथ ही यह उनके मौलिक अधिकारों का भी हनन होगा।

अमेरिका की सबसे बड़ी अदालत के इस फैसले के बाद अब अमेरिका के सभी राज्य गर्भपात को लेकर अपने-अपने अलग नियम बनाएंगे। रिपब्लिकन समर्थित मिसिसिप्पी ने गर्भपात को लेकर कानून को बरकरार रखा है, जिसमें 15 हफ्ते के बाद गर्भपात पर पाबंदी लगाई गई है। सामाजिक और राजनीतिक रूप से बंटे राज्यों में गर्भपात को लेकर अलग-अलग राय है।

उल्लेखनीय है कि अमेरिका में 1973 में सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात को संवैधानिक अधिकार का दर्जा दिया था। इसमें कहा गया था कि गर्भ धारण करने के पहले तीन महीने में महिला और उसकी डॉक्टर को यह फैसला करने का अधिकार है कि उसे क्या करना है। 1992 में भी सुप्रीम कोर्ट ने पेंसिल्वानियां बनाम कैसी मामले में भी गर्भपात के अधिकार को बरकरार रखा था।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दुखद बताया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला देश को 150 साल पीछे ले जाएगा। उन्होंने संकल्प लिया है कि वो महिला अधिकारों की रक्षा के हर संभव प्रयास करेंगे।

जस्टिस सैमुअल अलिटो की मसौदा राय के लीक होने के एक महीने से अधिक समय बाद यह फैसला आया है। इसके लीक होने के बाद अमेरिका में लोग सड़कों पर उतर आए थे। अब अलबामा, जॉर्जिया, इंडियाना समेत अमेरिका के 24 राज्य गर्भपात पर प्रतिबंध लगा सकते हैं। हालांकि अमेरिका की एक बड़ी आधी आबादी का मानना है कि गर्भपात उनका मौलिक अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट उनसे यह अधिकार नहीं छीन सकता। यह फैसला आने के बाद अमेरिका में बड़ी संख्या में महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट के सामने प्रदर्शन किया है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ